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सेवानिवृत्त कर्मचारियों के पेंशन और भत्तों में हुए करोड़ों के फर्जीवाड़े में नए-नए खुलासे हो रहे हैं। सीआईए-टू पानीपत की जांच में यह सामने आया है कि आरोपी एक्सईएन कुलवंत सिंह एक लाख रुपये के वाउचर साइन करने के लिए 25 हजार रुपये कमीशन लेता था। पुलिस के अनुसार पूर्व में गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ के बाद उक्त खुलासा हुआ, जिसके बाद आरोपी एक्सईएन और मामले में संलिप्त लाइनमैन को काबू किया गया है।
बिजली निगम की राशि में करोड़ों रुपये गबन करने का आरोपी एक्सईएन कुलवंत सिंह एक लाख रुपये का वाउचर साइन करने पर 25 हजार रुपये कमीशन लेता था। यह खुलासा पानीपत सीआईए-टू द्वारा की गई पूछताछ में हुआ है। पानीपत सीआईए-टू प्रभारी विनोद दुहन ने बताया कि उक्त मामले में पहले से गिरफ्तार एलडीसी राघव वधावन और अन्य कर्मचारियों से सीआईए टीम ने जब पूछताछ की तो उन्होंने सभी राज उगल दिए। बताया गया कि एक्सईएन की ओर से कमीशन की राशि नकद और ड्यूटी टाइम के बाद ली जाती थी। उन्होंने बताया कि मामले में जानकारी सामने आने के बाद आरोपी एक्सईएन और लाइनमैन को दो नोटिस जारी किए गए थे, लेकिन वे पूछताछ में शामिल नहीं हुए, जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी की गई है। अब तक एक्सईएन कितने रुपये बतौर कमीशन ले चुका है, यह जानने के लिए पानीपत सीआईए की टीम आरोपी एक्सईएन कुलवंत सिंह व छछरौली सब डिवीजन के लाइनमैन सोनू को कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लेगी।
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एक दिन पहले लाइनमैन का ट्रांसफर हुआ था छछरौली
लाइनमैन सोनू का ट्रांसफर एक दिन पहले 15 जून को ही जगाधरी डिवीजन से छछरौली सब डिवीजन में किया गया था। विदित हो कि लाइनमैन रहते हुए सोनू एक्सईएन जगाधरी कार्यालय में क्लर्क का काम कर रहा था, जबकि लाइनमैन का काम फील्ड का होता है। विदित हो कि कुलवंत सिंह भी पहले जगाधरी डिवीजन के एक्सईएन थे। बाद में उनका तबादला यमुनानगर हो गया था।
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वाउचरों पर किए फर्जी साइन
बैंक वाउचरों के जरिये जो रुपया बिजली निगम के खाते से निकाला गया, उन पर कर्मचारियों ने फर्जी साइन किए। ऑडिट के मुताबिक एलडीसी राघव वधावन और मनहर गोपाल फर्जी वाउचर तैयार करते थे। फरवरी 2018 से अगस्त 2018 तक बलबीर सिंह के पास डीए का एडिशनल चार्ज रहा। जांच में सामने आया कि इस अवधि में जो फर्जी वाउचर बनाए गए, उन पर आरोपियों ने खुद ही साइन किए। बलबीर सिंह की जगह साइन सीए पूजा गेरा ने किए। अभी तक की जांच में एलडीसी राघव वधावन, एएलएम मनहर गोपाल, डिविजनल अकाउंटेंट योेगेश लांबा, शैफाली, पूजा गेरा, डिप्टी सुपरिंटेंडेंट जगमाल सिंह, एक्सईएन बिलासपुर नीरज कुमार, एक्सईएन यमुनानगर कुलवंत सिंह व सेवानिवृत्त जगाधरी एक्सईएन संजीव गुप्ता का नाम फर्जीवाड़े में सामने आया है।
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एक गलत मैसेज से उजागर हुआ फर्जीवाड़ा
एक गलत मैसेज ने बिजली निगम में हुए घोटाले की पोल खोल कर रख दी। दरअसल इसी साल समालखा निवासी टैक्सी चालक के बैंक खाते में बिजली निगम के खाते से रुपये जमा होने का मैसेज गया था। बिजली निगम के कर्मचारियों को जब इसका पता चला तो वह टैक्सी चालक से रुपये वापस लेने पहुंचे। चालक को कुछ शक हुआ तो उसने पानीपत थाने में इसकी शिकायत दी। थाने से जांच पानीपत सीआईए-टू को दी गई। जांच में पता चला कि बिलासपुर डिवीजन से रुपये टैक्सी चालक के खाते में जमा हुए थे। सीआईए ने एक्सईएन बिलासपुर नीरज कांबोज, डिवीजनल अकाउंटेंट योगेश लांबा को गिरफ्तार किया। इससे पहले नीरज कांबोज ने थाना बिलासपुर में शिकायत देकर डिवीजनल अकाउंटेंट योगेश लांबा, एलडीसी राघव वधावन, डिप्टी सुपरिटेंडेंट राकेश नंदा व समालखा में तैनात डिप्टी सुपरिटेंडेंट चक्रवर्ती शर्मा पर फर्जी वाउचरों के जरिए 63 लाख रुपये गबन का केस दर्ज कराया था। केस दर्ज होने के बाद डिप्टी सुपरिटेंडेंट चक्रवर्ती शर्मा ने आत्महत्या भी कर ली थी। वहीं इस संबंध में एक मामला शहर यमुनानगर थाने में एक्सईएन जगाधरी भूपेंद्र सिंह की शिकायत पर दर्ज किया गया है, जिसमें राघव वधावन और योगेश लांबा पर 21 लाख रुपये फर्जीवाड़े का आरोप है।
सेवानिवृत्त कर्मचारियों के पेंशन और भत्तों में हुए करोड़ों के फर्जीवाड़े में नए-नए खुलासे हो रहे हैं। सीआईए-टू पानीपत की जांच में यह सामने आया है कि आरोपी एक्सईएन कुलवंत सिंह एक लाख रुपये के वाउचर साइन करने के लिए 25 हजार रुपये कमीशन लेता था। पुलिस के अनुसार पूर्व में गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ के बाद उक्त खुलासा हुआ, जिसके बाद आरोपी एक्सईएन और मामले में संलिप्त लाइनमैन को काबू किया गया है।
बिजली निगम की राशि में करोड़ों रुपये गबन करने का आरोपी एक्सईएन कुलवंत सिंह एक लाख रुपये का वाउचर साइन करने पर 25 हजार रुपये कमीशन लेता था। यह खुलासा पानीपत सीआईए-टू द्वारा की गई पूछताछ में हुआ है। पानीपत सीआईए-टू प्रभारी विनोद दुहन ने बताया कि उक्त मामले में पहले से गिरफ्तार एलडीसी राघव वधावन और अन्य कर्मचारियों से सीआईए टीम ने जब पूछताछ की तो उन्होंने सभी राज उगल दिए। बताया गया कि एक्सईएन की ओर से कमीशन की राशि नकद और ड्यूटी टाइम के बाद ली जाती थी। उन्होंने बताया कि मामले में जानकारी सामने आने के बाद आरोपी एक्सईएन और लाइनमैन को दो नोटिस जारी किए गए थे, लेकिन वे पूछताछ में शामिल नहीं हुए, जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी की गई है। अब तक एक्सईएन कितने रुपये बतौर कमीशन ले चुका है, यह जानने के लिए पानीपत सीआईए की टीम आरोपी एक्सईएन कुलवंत सिंह व छछरौली सब डिवीजन के लाइनमैन सोनू को कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लेगी।
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एक दिन पहले लाइनमैन का ट्रांसफर हुआ था छछरौली
लाइनमैन सोनू का ट्रांसफर एक दिन पहले 15 जून को ही जगाधरी डिवीजन से छछरौली सब डिवीजन में किया गया था। विदित हो कि लाइनमैन रहते हुए सोनू एक्सईएन जगाधरी कार्यालय में क्लर्क का काम कर रहा था, जबकि लाइनमैन का काम फील्ड का होता है। विदित हो कि कुलवंत सिंह भी पहले जगाधरी डिवीजन के एक्सईएन थे। बाद में उनका तबादला यमुनानगर हो गया था।
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वाउचरों पर किए फर्जी साइन
बैंक वाउचरों के जरिये जो रुपया बिजली निगम के खाते से निकाला गया, उन पर कर्मचारियों ने फर्जी साइन किए। ऑडिट के मुताबिक एलडीसी राघव वधावन और मनहर गोपाल फर्जी वाउचर तैयार करते थे। फरवरी 2018 से अगस्त 2018 तक बलबीर सिंह के पास डीए का एडिशनल चार्ज रहा। जांच में सामने आया कि इस अवधि में जो फर्जी वाउचर बनाए गए, उन पर आरोपियों ने खुद ही साइन किए। बलबीर सिंह की जगह साइन सीए पूजा गेरा ने किए। अभी तक की जांच में एलडीसी राघव वधावन, एएलएम मनहर गोपाल, डिविजनल अकाउंटेंट योेगेश लांबा, शैफाली, पूजा गेरा, डिप्टी सुपरिंटेंडेंट जगमाल सिंह, एक्सईएन बिलासपुर नीरज कुमार, एक्सईएन यमुनानगर कुलवंत सिंह व सेवानिवृत्त जगाधरी एक्सईएन संजीव गुप्ता का नाम फर्जीवाड़े में सामने आया है।
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एक गलत मैसेज से उजागर हुआ फर्जीवाड़ा
एक गलत मैसेज ने बिजली निगम में हुए घोटाले की पोल खोल कर रख दी। दरअसल इसी साल समालखा निवासी टैक्सी चालक के बैंक खाते में बिजली निगम के खाते से रुपये जमा होने का मैसेज गया था। बिजली निगम के कर्मचारियों को जब इसका पता चला तो वह टैक्सी चालक से रुपये वापस लेने पहुंचे। चालक को कुछ शक हुआ तो उसने पानीपत थाने में इसकी शिकायत दी। थाने से जांच पानीपत सीआईए-टू को दी गई। जांच में पता चला कि बिलासपुर डिवीजन से रुपये टैक्सी चालक के खाते में जमा हुए थे। सीआईए ने एक्सईएन बिलासपुर नीरज कांबोज, डिवीजनल अकाउंटेंट योगेश लांबा को गिरफ्तार किया। इससे पहले नीरज कांबोज ने थाना बिलासपुर में शिकायत देकर डिवीजनल अकाउंटेंट योगेश लांबा, एलडीसी राघव वधावन, डिप्टी सुपरिटेंडेंट राकेश नंदा व समालखा में तैनात डिप्टी सुपरिटेंडेंट चक्रवर्ती शर्मा पर फर्जी वाउचरों के जरिए 63 लाख रुपये गबन का केस दर्ज कराया था। केस दर्ज होने के बाद डिप्टी सुपरिटेंडेंट चक्रवर्ती शर्मा ने आत्महत्या भी कर ली थी। वहीं इस संबंध में एक मामला शहर यमुनानगर थाने में एक्सईएन जगाधरी भूपेंद्र सिंह की शिकायत पर दर्ज किया गया है, जिसमें राघव वधावन और योगेश लांबा पर 21 लाख रुपये फर्जीवाड़े का आरोप है।
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