नई दिल्ली6 घंटे पहले
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फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने जब्त, रिजेक्टेड और एक्सपायर्ड फूड आइटम्स को नदियों, झीलों या खुले इलाकों में फेंकने पर पूरी तरह बैन लगा दिया है। FSSAI ने मंगलवार, 4 नवंबर को राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के कमिश्नर्स को इसके लिए ऑर्डर जारी किया है।
एडवाइजरी में कहा गया है कि डिस्पोजल के दौरान फूड सेफ्टी ऑफिसर (FSO) या अधिकृत अधिकारी की निगरानी और वीडियो रिकॉर्डिंग जरूरी है। डिस्पोजल के बाद सर्टिफिकेट बनाकर डेजिग्नेटेड ऑफिसर, फूड सेफ्टी कमिश्नर और फूड बिजनेस ऑपरेटर (FBO) को भेजना होगा।
खुले में डिस्पोजल से दोबारा इस्तेमाल का खतरा
पिछले कुछ समय में कई रिपोर्ट्स आईं कि जब्त या एक्सपायर्ड फूड को नदियों या खुले मैदानों में फेंक दिया जाता है, जिससे वाटर पॉल्यूशन और स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं। FSSAI ने कहा कि ऐसा करना न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि ऐसे आइटम्स को सप्लाई चेन में दोबारा इस्तेमाल होने का खतरा भी पैदा करता है।
इससे पहले 21 दिसंबर 2020 को फूड रेगुलेटर ने ऐसी ही गाइडलाइन जारी की थी, जिसे अब सख्ती से लागू किया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कोर्ट या इससे जुड़े अधिकारी के आदेश पर ही डिस्ट्रक्शन होगा, ताकि कोई गलत इस्तेमाल न हो।
डिस्पोजल के लिए नई गाइडलाइन
- डिस्पोजल सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) -अप्रूव्ड इंसिनरेटर्स में इंसिनरेशन करना होगा, जहां पूरी तरह जलाने का रिकॉर्ड रखा जाए।
- बायोडिग्रेडेबल वेस्ट के लिए कंपोस्टिंग या डेजिग्नेटेड सैनिटरी लैंडफिल्स में डिस्पोजल, जहां लीचेट कंट्रोल हो।
- अगर वॉल्यूम ज्यादा हो, तो लोकल म्यूनिसिपल अथॉरिटीज या स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड्स से कोऑर्डिनेशन करना जरूरी है।
- राज्य अपने इलाके में डिस्पोजल फैसिलिटी की लिस्ट बनाएंगे और कमिश्नर को देंगे।
- हर महीने की 5 तारीख तक कंप्लायंस रिपोर्ट FSSAI को भेजनी होगी। अगर कोई डेविएशन मिला, तो तुरंत रिपोर्ट करनी होगी।

अब फूड सेफ्टी से जुड़े कुछ जरूरी सवालों के जवाब…
सवाल 1: फूड सेफ्टी क्या है?
जवाब: फूड सेफ्टी यानी ऐसा खाना जो हमारी सेहत को नुकसान न पहुंचाए। इसमें साफ-सफाई का ध्यान रखा जाए, खाना खराब या मिलावटी न हो और सही तरीके से रखा गया हो। अगर पैकिंग वाला सामान है तो उस पर मैन्युफैक्चरिंग डेट और एक्सपायरी डेट साफ लिखी हो।
सवाल 2: भारत में खाने-पीने की चीजों को लेकर क्या अधिकार हैं?
जवाब: भारत में हर आदमी को सुरक्षित और शुद्ध खाने का अधिकार है। इसके लिए फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट, 2006 बनाया गया है। इस एक्ट का मकसद है कि खाने-पीने की चीजें सुरक्षित और सेहतमंद हों। उनके मैन्यूफैक्चरिंग और बिक्री पर नियम हों और लोगों को साफ-सुथरा खाना मिले।
FSSAI एक्ट बताता है कि कोई भी कंपनी ऐसा खाना नहीं बेच सकती जो सेहत को नुकसान पहुंचाए। कंपनियों की जिम्मेदारी है कि वे खाने में मिलावट न करें और पैकिंग पर सही जानकारी लिखें।
अगर किसी खाने-पीने की चीज में मिलावट पाई जाती है या उस पर झूठी जानकारी लिखी होती है तो ग्राहक कानूनन कार्रवाई करा सकता है। इसकी शिकायत FSSAI या कंज्यूमर फोरम में की जा सकती है।
सवाल 3: अगर खराब या मिलावटी खाना मिले तो क्या कर सकते हैं?
जवाब: अगर किसी होटल, रेस्टोरेंट, ढाबा या दुकान से खराब, सड़ा-गला या मिलावटी खाना मिलता है तो इसके लिए सरकार ने FSSAI (फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया) और नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन जैसी संस्थाएं बनाई हैं, जहां आप ऑनलाइन, फोन या एप के जरिए शिकायत दर्ज कर सकते हैं। शिकायत के बाद दोषी पाए जाने पर दुकानदार या मैन्युफैक्चरर पर जुर्माना या लाइसेंस रद्द करने जैसी सख्त कार्रवाई भी हो सकती है।
सवाल 4: 100% शुद्ध का दावा करने वाल प्रोडक्ट्स पर भरोसा किया जा सकता है?
जवाब: FSSAI नियमों के मुताबिक कोई भी फूड ब्रांड ऐसा दावा नहीं कर सकता, जिससे उपभोक्ता को गुमराह हो जाए। ‘100% शुद्ध’ या ‘100% सेफ’ जैसे दावे पूरी तरह सही नहीं माने जाते हैं क्योंकि किसी भी खाने की चीज में छोटी मात्रा में भी मिलावट या खतरनाक बैक्टीरिया की संभावना होती है।
ऐसे दावे केवल तभी किए जा सकते हैं, जब कंपनी के पास ठोस वैज्ञानिक प्रमाण और लैब टेस्ट हों। अगर कोई ब्रांड बिना सबूत के ऐसे दावे करता है तो उस पर कार्रवाई हो सकती है।
सवाल 5: क्या ग्राहक एक्सपायरी डेट न होने पर शिकायत कर सकता है?
जवाब: हां, अगर किसी खाने के पैकेट पर एक्सपायरी डेट नहीं लिखी है या जानबूझकर उसे छुपाया गया है तो ग्राहक इसकी शिकायत कर सकता है। यह लेबलिंग नॉर्म्स का उल्लंघन है। आप FSSAI या कंज्यूमर हेल्पलाइन पर इसकी रिपोर्ट कर सकते हैं।
सवाल 6: क्या ऑनलाइन फूड डिलीवरी एप्स भी FSSAI के दायरे में आते हैं?
जवाब: हां, ऑनलाइन फूड डिलीवरी एप्स भी पूरी तरह से FSSAI के नियमों के तहत आते हैं। इन एप्स से जुड़ी हर रसोई और रेस्टोरेंट के पास FSSAI लाइसेंस होना जरूरी है। यही वजह है कि एप्स पर दिए गए रेस्टोरेंट के नाम के साथ उनका FSSAI नंबर भी दिखाया जाता है। इसका मतलब है कि आपका खाना सिर्फ डिलीवरी ही नहीं, बल्कि कानून के हिसाब से सेफ्टी चेक से होकर आता है।
सवाल 7: उपभोक्ता अपनी शिकायत कितने स्तरों पर और किस राशि सीमा तक दर्ज करा सकता है?
जवाब: उपभोक्ता शिकायत अलग-अलग स्तरों पर दर्ज की जा सकती है, जिसकी सीमा राशि इस प्रकार है।
- जिला उपभोक्ता फोरम: 0 रुपए से 50 लाख रुपए तक की शिकायतें दर्ज की जा सकती हैं।
- राज्य उपभोक्ता आयोग: 50 लाख रुपए से 2 करोड़ रुपए तक की शिकायतें यहां दर्ज होती हैं।
- राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग: 2 करोड़ रुपए से अधिक की शिकायतें दर्ज की जा सकती हैं।
- अगर किसी मामले में राष्ट्रीय आयोग में भी सही न्याय नहीं मिलता है तो इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में शिकायत की जा सकती है।
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किसी भी फूड-ड्रिंकिंग प्रोडक्ट पर अब ओरल रिहाइड्रेशन साल्ट (ORS) का लेबल लगाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से मंजूरी जरूरी होगी। केंद्र सरकार की खाद्य सुरक्षा संस्था (FSSAI) ने हाल ही में यह आदेश जारी किया है। कहा कि जिन कंपननियों के पास WHO की मंजूरी नहीं है, वे अपने प्रोडक्ट्स से ORS लेबल हटा लें।
Source: https://www.bhaskar.com/business/news/throwing-expired-food-into-rivers-and-lakes-is-now-completely-banned-136335511.html
