ख़बर सुनें
जींद। नागरिक अस्पताल से पीजीआई रोहतक रेफर किए गए बच्चे की एंबुलेंस में ऑक्सीजन की कमी के कारण बुधवार को हुई मौत मामले की जांच स्वास्थ्य विभाग ने वीरवार को शुरू कर दी। एसएमओ डॉ. गोपाल गोयल की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय चिकित्सकों की टीम जांच कर रही है। खुद सिविल सर्जन डॉ. मंजू कादियान ने एंबुलेंस में एक सिलिंडर खत्म होने पर दूसरे को जोड़ने में लगने वाले समय का डेमो किया और एंबुलेंस की सभी सुविधाएं परखीं। प्राथमिक जांच में सामने आया कि एंबुलेंस में ईएमटी नहीं था और बच्चे का ऑक्सीजन स्तर काफी कम था। वहीं बच्चे के शव को पोस्टमार्टम के लिए मेडिकल कॉलेज खानपुर भेजा गया।
कृष्णा कॉलोनी निवासी सुनील ने अपने एक वर्षीय बेटे महेश को बुधवार सुबह नागरिक अस्पताल में सांस लेने में दिक्कत होने के चलते दाखिल कराया था। यहां से बच्चे को पीजीआई रोहतक रेफर किया गया था। जींद से निकलते ही एंबुलेंस के एक सिलिंडर में ऑक्सीजन खत्म हो गई। एंबुलेंस चालक ने जब तक दूसरे सिलिंडर से ऑक्सीजन देना शुरू किया तब तक बच्चे की मौत हो गई। एंबुलेंस में ईएमटी भी नहीं था। परिजनों ने अस्पताल में रोष जताया तथा स्वास्थ्य विभाग पर आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की। वीरवार को सिविल सर्जन डॉ. मंजू कादियान ने एसएमओ डॉ. गोपाल गोयल के नेतृत्व में डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. जेके मान व चिकित्सा अधिकारी डॉ. बृजेंद्र के नेतृत्व में तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर मामले की जांच शुरू करा दी। इस दौरान खुद सिविल सर्जन डॉ. मंजू कादियान ने एंबुलेंस में एक सिलिंडर खत्म होने पर दूसरे को जोड़ने में लगने वाले समय का डेमो किया। इसमें यह बात सामने आई कि ऑक्सीजन सिलिंडर बदलने में सात से दस मिनट का समय लगता है। ऐसे में सीएमओ ने निर्देश दिए कि भविष्य में ऐसा नहीं हो, इसके लिए एंबुलेंस रवाना होने से पहले ऑक्सीजन सिलिंडर भरा हुआ होना चाहिए। उन्होंने जांच कमेटी को तीन दिन में रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं।
39 ईएमटी की जरूरत, कार्यरत हैं 24, हर एंबुलेंस पर चाहिए तीन
प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि गंभीर बच्चे के साथ एंबुलेंस में इमरजेंसी मेडिकल तकनीशियन (ईएमटी) गया ही नहीं था, क्योंकि अस्पताल प्रशासन को 39 ईएमटी की जरूरत है और केवल 24 ईएमटी ही कार्यरत हैं। जरूरत के हिसाब से हर एंबुलेंस पर तीन ईएमटी होने चाहिए लेकिन ऐसा कर पाना अस्पताल प्रशासन के लिए संभव नहीं है। इसपर स्वास्थ्य विभाग ने ईएमटी की मांग को लेकर स्वास्थ्य विभाग को लिख दिया है। हालांकि यह मांग पहले भी की गई है।
खानपुर मेडिकल कॉलेज में होगा शव का पोस्टमार्टम
एक वर्षीय महेश के शव का पोस्टमार्टम अब जींद की बजाय मेडिकल कॉलेज खानपुर में होगा। पुलिस की मौजूदगी में शव को खानपुर भेजा गया है। वहीं वीरवार को महेश का जन्मदिन होने के कारण अस्पताल में मौजूद परिजनों की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। पिता सुनील बस यही कह रहे थे कि उसे न्याय चाहिए। इस मामले में जिसकी भी लापरवाही है, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
तीन सदस्यीय चिकित्सकों की कमेटी ने जांच शुरू कर दी है। मामले में किसी कर्मचारी की लापरवाही सामने आई तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। एंबुलेंस के साथ ईएमटी क्यों नहीं गया, इसकी जांच की जा रही है। ऑक्सीजन खत्म होने पर सिलिंडर बदलने में कम से कम 10 मिनट लग जाते हैं। एंबुलेंस का निरीक्षण करते हुए प्राथमिकता तौर पर सभी दवाइयों की एक्सपायरी डेट और उपकरणों को जांचा गया है। ऑक्सीजन सिलिंडरों की भी जांच की गई है।-डॉ. मंजू कादियान, सिविल सर्जन
जींद। नागरिक अस्पताल से पीजीआई रोहतक रेफर किए गए बच्चे की एंबुलेंस में ऑक्सीजन की कमी के कारण बुधवार को हुई मौत मामले की जांच स्वास्थ्य विभाग ने वीरवार को शुरू कर दी। एसएमओ डॉ. गोपाल गोयल की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय चिकित्सकों की टीम जांच कर रही है। खुद सिविल सर्जन डॉ. मंजू कादियान ने एंबुलेंस में एक सिलिंडर खत्म होने पर दूसरे को जोड़ने में लगने वाले समय का डेमो किया और एंबुलेंस की सभी सुविधाएं परखीं। प्राथमिक जांच में सामने आया कि एंबुलेंस में ईएमटी नहीं था और बच्चे का ऑक्सीजन स्तर काफी कम था। वहीं बच्चे के शव को पोस्टमार्टम के लिए मेडिकल कॉलेज खानपुर भेजा गया।
कृष्णा कॉलोनी निवासी सुनील ने अपने एक वर्षीय बेटे महेश को बुधवार सुबह नागरिक अस्पताल में सांस लेने में दिक्कत होने के चलते दाखिल कराया था। यहां से बच्चे को पीजीआई रोहतक रेफर किया गया था। जींद से निकलते ही एंबुलेंस के एक सिलिंडर में ऑक्सीजन खत्म हो गई। एंबुलेंस चालक ने जब तक दूसरे सिलिंडर से ऑक्सीजन देना शुरू किया तब तक बच्चे की मौत हो गई। एंबुलेंस में ईएमटी भी नहीं था। परिजनों ने अस्पताल में रोष जताया तथा स्वास्थ्य विभाग पर आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की। वीरवार को सिविल सर्जन डॉ. मंजू कादियान ने एसएमओ डॉ. गोपाल गोयल के नेतृत्व में डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. जेके मान व चिकित्सा अधिकारी डॉ. बृजेंद्र के नेतृत्व में तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर मामले की जांच शुरू करा दी। इस दौरान खुद सिविल सर्जन डॉ. मंजू कादियान ने एंबुलेंस में एक सिलिंडर खत्म होने पर दूसरे को जोड़ने में लगने वाले समय का डेमो किया। इसमें यह बात सामने आई कि ऑक्सीजन सिलिंडर बदलने में सात से दस मिनट का समय लगता है। ऐसे में सीएमओ ने निर्देश दिए कि भविष्य में ऐसा नहीं हो, इसके लिए एंबुलेंस रवाना होने से पहले ऑक्सीजन सिलिंडर भरा हुआ होना चाहिए। उन्होंने जांच कमेटी को तीन दिन में रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं।
39 ईएमटी की जरूरत, कार्यरत हैं 24, हर एंबुलेंस पर चाहिए तीन
प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि गंभीर बच्चे के साथ एंबुलेंस में इमरजेंसी मेडिकल तकनीशियन (ईएमटी) गया ही नहीं था, क्योंकि अस्पताल प्रशासन को 39 ईएमटी की जरूरत है और केवल 24 ईएमटी ही कार्यरत हैं। जरूरत के हिसाब से हर एंबुलेंस पर तीन ईएमटी होने चाहिए लेकिन ऐसा कर पाना अस्पताल प्रशासन के लिए संभव नहीं है। इसपर स्वास्थ्य विभाग ने ईएमटी की मांग को लेकर स्वास्थ्य विभाग को लिख दिया है। हालांकि यह मांग पहले भी की गई है।
खानपुर मेडिकल कॉलेज में होगा शव का पोस्टमार्टम
एक वर्षीय महेश के शव का पोस्टमार्टम अब जींद की बजाय मेडिकल कॉलेज खानपुर में होगा। पुलिस की मौजूदगी में शव को खानपुर भेजा गया है। वहीं वीरवार को महेश का जन्मदिन होने के कारण अस्पताल में मौजूद परिजनों की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। पिता सुनील बस यही कह रहे थे कि उसे न्याय चाहिए। इस मामले में जिसकी भी लापरवाही है, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
तीन सदस्यीय चिकित्सकों की कमेटी ने जांच शुरू कर दी है। मामले में किसी कर्मचारी की लापरवाही सामने आई तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। एंबुलेंस के साथ ईएमटी क्यों नहीं गया, इसकी जांच की जा रही है। ऑक्सीजन खत्म होने पर सिलिंडर बदलने में कम से कम 10 मिनट लग जाते हैं। एंबुलेंस का निरीक्षण करते हुए प्राथमिकता तौर पर सभी दवाइयों की एक्सपायरी डेट और उपकरणों को जांचा गया है। ऑक्सीजन सिलिंडरों की भी जांच की गई है।-डॉ. मंजू कादियान, सिविल सर्जन
.