इंजीनियर व अफसर बनने का अरमान….चार ने टॉप थ्री में बनाया स्थान


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यमुनानगर। एचबीएसई के शुक्रवार को जारी 10वीं के परीक्षा परिणाम में जिले चार विद्यार्थियों ने जिला में टॉप थ्री में जगह बनाई। इनमें तीन लड़कियां शामिल हैं, जिनमें दो गांव से हैं। जिला टॉपर 98.4 अंकों से हरबंसपुरा निवासी फैक्टरी में फीटर का बेटा सिमरप्रीत रहा। जबकि गांव खुुर्दी के फैक्टरी कर्मी की बेटी मेनका 98.2 फीसदी अंकों से दूसरे, गांव लोपियों निवासी कैंटीन संचालक की बेटी भावना और शहर में प्रेमनगर कॉलोनी की आशिका संयुक्त रूप से 97.8 फीसदी अंकों से तीसरे स्थान पर रहे। चारों टॉप थ्री विद्यार्थियों ने अपनी सफलता की कहानी अमर उजाला से साझा की।
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फोटो- 41
कीर्तनों में बजाया तबला, अब 10वीं के अंकों से पूरे जिले में डंका-
विश्व समता हाई स्कूल गांधीनगर के सिमरप्रीत ने 492 (98.4) अंक से डिस्ट्रिक टॉपर रहा। सिमरप्रीत तीन साल से पढ़ाई के साथ गुरुद्वारा साहिब हरबंसपुरा में होने वाले कीर्तनों में तबला भी बजा रहा है। 10वीं की पढ़ाई के समय भी रोज 1-2 घंटे तबला बजाया करता था। सिमरप्रीत ने बताया कि तबला बजाने से पढ़ाई का स्ट्रेस खत्म हुआ और ध्यान ईश्वर में लगा। माता शरणजीत कौर उसी के स्कूल में हिंदी टीचर हैं, इसलिए माता से हिंदी पढ़ी और मैथ, साइंस व मैथ विषयों की ट्यूशन लेकर यह मुकाम पाया। बताया कि माता घर से किसी को जिला टॉपर देखना चाहते थी, पर बड़े भाई ईश्प्रीत की 10वीं परीक्षा कोरोना के चलते रद हो गई। तब माता को उससे उम्मीद थी, इस पर खरा उतरने को 10वीं में प्रवेश के समय ही ठान ली थी।
ईश्वर में बड़ी आस्था है, जिससे विपरीत परिस्थितियों में भी मजबूत बना रहा। सिमर ने बताया कि पिता सुरजीत सिंह जोड़ियों स्थित फैक्ट्री में फीटर हैं, जहां 3 साल पहले करेंट लगने के बाद से पिता का एक हाथ सही काम नहीं करता। दो साल पहले दादी बलदेव कौर फिर बड़े भाई ईश्प्रीत की हड्डी फ्रेक्चर हो गई। इसके साथ परिवार में आर्थिक तंगी रहने लगी, जिसे देख डॉक्टर बनने के लक्ष्य को बदल कैमिकल इंजीनियर बनने की ठानी है।
सफलता का मंत्र :- पढ़ाई का स्ट्रेस नहीं बनने दिया। जब मन किया, तभी बुक उठाईं। समझ न आने तक कोई विषय स्किप नहीं किया। रट्टा नहीं मारा। गाइड के बजाय बुक से रिविजन की।
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सेल्फ स्टडी से पा लिया दूसरा स्थान अब इंजीनियर बनने का अरमान-
स्टार-वे सीनियर सेकेंडरी स्कूल, खुदी की मेनका 491 (98.2) अंकों से जिले में दूसरे स्थान पर रही। पिता कुलदीप कुमार दामला स्थित फैक्ट्री में कर्मी हैं। माता रजनी गृहिणी हैं। मेनका ने बताया कि उसने यह मुकाम बिना किसी विषय की कोचिंग के पाया है। वह स्कूल के बाद घर पर तीन से चार घंटे सेल्फ स्टडी की। उसका लक्ष्य इंजीनियर बनने का है, इसके लिए 11वीं कक्षा में नॉन मेडिकल लिया है। मेनका का छोटा भाई दीपक उसी के स्कूल में 7वीं कक्षा का छात्र है। घर पर दादी केला देवी भी है। सफलता का मंत्र: स्कूल में जो पढ़ाया, उसकी घर पर रिवीजन की। पाठ्यक्रम के साथ कोई भी नया विषय सुना तो मोबाइल पर सर्च किया। पढ़ाई का स्ट्रेस न रहे, इसलिए घर के भी काम किए और टीवी भी देखा।
फोटो-43 पिता ने मां की पढ़ाई करवा बनाया टीचर, दोनों के अफसर का ख्वाब मैं करूंगी पूरा-
बीएस सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सलेमपुर खादर गांव लोपियों की भावना 489 (97.8) अंकों से जिले में तीसरे स्थान पर रहीं। भावना के पिता बलबीर सिंह की लोपियों अड्डे पर चाय-समोसे की दुकान हैं। बलबीर खुद 12वीं पास हैं, पर शादी के बाद पत्नी करनैलो यानि भावना की माता की पढ़ाई जारी रखवाई। एमए बीएड कर करनैलो भावना के स्कूल में ही सोशल स्टडी के टीचर हैं। भावना ने बताया कि माता-पिता उसे अफसर देखना चाहते हैं, इसके लिए वह यूपीएससी करने की ठान चुकी है। परिवार आर्थिक मजबूत नहीं था, इसलिए किसी विषय की कोचिंग नहीं ली। स्कूल में एक्सट्रा समय देकर टीचर्स से मैथ साइंस के डाउट क्लीयर किए। बाकी विषयों की घर पर सेल्फ स्टडी से यह मुकाम पाया। भावना का छोटा भाई जतिन उसी के स्कूल में 9वीं का छात्र है। सफलता का मंत्र:- खुद को मोटिवेट रखा। हाईस्ट नंबर लेने हैं, ये लक्ष्य याद रखा। सेल्फ स्टडी में हुए डाउट मोबाइल पर इंटरनेट से दूर किए। स्ट्रेस न बने, इसलिए टीवी देखा और बैडमिंटन खेेला।
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दो बहने पढ़ने में लायक…एयरफोर्स अफसर बनने की ठान छोटी ने भी पाया मुकाम-
मुकंद लाल नेशनल वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल, यमुनानगर। मॉडल टाउन के प्रेमनगर कॉलोनी की आशिका ने 489 (97.8) अंक से जिले में तीसरे स्थान पर रहीं। तीन बेटियों वाले घर में लगातार तीसरी बेटी ने पढ़ाई में बड़ा मुकाम पाया है। आशिका की दो बड़ी बहने पहले ही पढ़ने में लायक हैं, जिनमें सबसे बड़ी इंकम टैक्स अफसर बनने की ठान दीशा एमकॉम कर रही हैं, वहीं मंझली यूपीएससी कर अफसर बनने का ख्वाब लिए शिखा दो दिन पहले 12वीं में 95 फीसद अंक हासिल कर चुकी है। अब सबसे छोटी आशिका का एयरफोर्स अफसर बनने का ख्वाब हैं, जिसके लिए आशिका ने बताया कि वह कई वर्षों से पूरी तरह सेल्फ स्टडी पर फोकस रखे हैं। 10वीं में सेल्फ स्टडी से यह मुकाम पाया। आशिका के पिता भूपेंद्र ट्रेडिंग का बिजनेस करते हैँ और माता सुबोध गृहणी हैं।
सफलता का मंत्र:- खुद को पॉजिटिव रखा। पढ़ाई का स्ट्रेस न रहे, इसके लिए टेबिल टेनिस खेला। टीवी देखा और स्टडी मैटीरियल के लिए मोबाइल इंटरनेट का इस्तेमाल किया।

यमुनानगर। एचबीएसई के शुक्रवार को जारी 10वीं के परीक्षा परिणाम में जिले चार विद्यार्थियों ने जिला में टॉप थ्री में जगह बनाई। इनमें तीन लड़कियां शामिल हैं, जिनमें दो गांव से हैं। जिला टॉपर 98.4 अंकों से हरबंसपुरा निवासी फैक्टरी में फीटर का बेटा सिमरप्रीत रहा। जबकि गांव खुुर्दी के फैक्टरी कर्मी की बेटी मेनका 98.2 फीसदी अंकों से दूसरे, गांव लोपियों निवासी कैंटीन संचालक की बेटी भावना और शहर में प्रेमनगर कॉलोनी की आशिका संयुक्त रूप से 97.8 फीसदी अंकों से तीसरे स्थान पर रहे। चारों टॉप थ्री विद्यार्थियों ने अपनी सफलता की कहानी अमर उजाला से साझा की।

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कीर्तनों में बजाया तबला, अब 10वीं के अंकों से पूरे जिले में डंका-

विश्व समता हाई स्कूल गांधीनगर के सिमरप्रीत ने 492 (98.4) अंक से डिस्ट्रिक टॉपर रहा। सिमरप्रीत तीन साल से पढ़ाई के साथ गुरुद्वारा साहिब हरबंसपुरा में होने वाले कीर्तनों में तबला भी बजा रहा है। 10वीं की पढ़ाई के समय भी रोज 1-2 घंटे तबला बजाया करता था। सिमरप्रीत ने बताया कि तबला बजाने से पढ़ाई का स्ट्रेस खत्म हुआ और ध्यान ईश्वर में लगा। माता शरणजीत कौर उसी के स्कूल में हिंदी टीचर हैं, इसलिए माता से हिंदी पढ़ी और मैथ, साइंस व मैथ विषयों की ट्यूशन लेकर यह मुकाम पाया। बताया कि माता घर से किसी को जिला टॉपर देखना चाहते थी, पर बड़े भाई ईश्प्रीत की 10वीं परीक्षा कोरोना के चलते रद हो गई। तब माता को उससे उम्मीद थी, इस पर खरा उतरने को 10वीं में प्रवेश के समय ही ठान ली थी।

ईश्वर में बड़ी आस्था है, जिससे विपरीत परिस्थितियों में भी मजबूत बना रहा। सिमर ने बताया कि पिता सुरजीत सिंह जोड़ियों स्थित फैक्ट्री में फीटर हैं, जहां 3 साल पहले करेंट लगने के बाद से पिता का एक हाथ सही काम नहीं करता। दो साल पहले दादी बलदेव कौर फिर बड़े भाई ईश्प्रीत की हड्डी फ्रेक्चर हो गई। इसके साथ परिवार में आर्थिक तंगी रहने लगी, जिसे देख डॉक्टर बनने के लक्ष्य को बदल कैमिकल इंजीनियर बनने की ठानी है।

सफलता का मंत्र :- पढ़ाई का स्ट्रेस नहीं बनने दिया। जब मन किया, तभी बुक उठाईं। समझ न आने तक कोई विषय स्किप नहीं किया। रट्टा नहीं मारा। गाइड के बजाय बुक से रिविजन की।

फोटो-42

सेल्फ स्टडी से पा लिया दूसरा स्थान अब इंजीनियर बनने का अरमान-

स्टार-वे सीनियर सेकेंडरी स्कूल, खुदी की मेनका 491 (98.2) अंकों से जिले में दूसरे स्थान पर रही। पिता कुलदीप कुमार दामला स्थित फैक्ट्री में कर्मी हैं। माता रजनी गृहिणी हैं। मेनका ने बताया कि उसने यह मुकाम बिना किसी विषय की कोचिंग के पाया है। वह स्कूल के बाद घर पर तीन से चार घंटे सेल्फ स्टडी की। उसका लक्ष्य इंजीनियर बनने का है, इसके लिए 11वीं कक्षा में नॉन मेडिकल लिया है। मेनका का छोटा भाई दीपक उसी के स्कूल में 7वीं कक्षा का छात्र है। घर पर दादी केला देवी भी है। सफलता का मंत्र: स्कूल में जो पढ़ाया, उसकी घर पर रिवीजन की। पाठ्यक्रम के साथ कोई भी नया विषय सुना तो मोबाइल पर सर्च किया। पढ़ाई का स्ट्रेस न रहे, इसलिए घर के भी काम किए और टीवी भी देखा।

फोटो-43 पिता ने मां की पढ़ाई करवा बनाया टीचर, दोनों के अफसर का ख्वाब मैं करूंगी पूरा-

बीएस सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सलेमपुर खादर गांव लोपियों की भावना 489 (97.8) अंकों से जिले में तीसरे स्थान पर रहीं। भावना के पिता बलबीर सिंह की लोपियों अड्डे पर चाय-समोसे की दुकान हैं। बलबीर खुद 12वीं पास हैं, पर शादी के बाद पत्नी करनैलो यानि भावना की माता की पढ़ाई जारी रखवाई। एमए बीएड कर करनैलो भावना के स्कूल में ही सोशल स्टडी के टीचर हैं। भावना ने बताया कि माता-पिता उसे अफसर देखना चाहते हैं, इसके लिए वह यूपीएससी करने की ठान चुकी है। परिवार आर्थिक मजबूत नहीं था, इसलिए किसी विषय की कोचिंग नहीं ली। स्कूल में एक्सट्रा समय देकर टीचर्स से मैथ साइंस के डाउट क्लीयर किए। बाकी विषयों की घर पर सेल्फ स्टडी से यह मुकाम पाया। भावना का छोटा भाई जतिन उसी के स्कूल में 9वीं का छात्र है। सफलता का मंत्र:- खुद को मोटिवेट रखा। हाईस्ट नंबर लेने हैं, ये लक्ष्य याद रखा। सेल्फ स्टडी में हुए डाउट मोबाइल पर इंटरनेट से दूर किए। स्ट्रेस न बने, इसलिए टीवी देखा और बैडमिंटन खेेला।

फोटो-44

दो बहने पढ़ने में लायक…एयरफोर्स अफसर बनने की ठान छोटी ने भी पाया मुकाम-

मुकंद लाल नेशनल वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल, यमुनानगर। मॉडल टाउन के प्रेमनगर कॉलोनी की आशिका ने 489 (97.8) अंक से जिले में तीसरे स्थान पर रहीं। तीन बेटियों वाले घर में लगातार तीसरी बेटी ने पढ़ाई में बड़ा मुकाम पाया है। आशिका की दो बड़ी बहने पहले ही पढ़ने में लायक हैं, जिनमें सबसे बड़ी इंकम टैक्स अफसर बनने की ठान दीशा एमकॉम कर रही हैं, वहीं मंझली यूपीएससी कर अफसर बनने का ख्वाब लिए शिखा दो दिन पहले 12वीं में 95 फीसद अंक हासिल कर चुकी है। अब सबसे छोटी आशिका का एयरफोर्स अफसर बनने का ख्वाब हैं, जिसके लिए आशिका ने बताया कि वह कई वर्षों से पूरी तरह सेल्फ स्टडी पर फोकस रखे हैं। 10वीं में सेल्फ स्टडी से यह मुकाम पाया। आशिका के पिता भूपेंद्र ट्रेडिंग का बिजनेस करते हैँ और माता सुबोध गृहणी हैं।

सफलता का मंत्र:- खुद को पॉजिटिव रखा। पढ़ाई का स्ट्रेस न रहे, इसके लिए टेबिल टेनिस खेला। टीवी देखा और स्टडी मैटीरियल के लिए मोबाइल इंटरनेट का इस्तेमाल किया।

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