in

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने चीन को चेतावनी दी: कहा- ताइवान पर हमला हुआ तो जवाब मिलेगा, शी जिनपिंग जानते हैं नतीजे क्या होंगे Today World News

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने चीन को चेतावनी दी:  कहा- ताइवान पर हमला हुआ तो जवाब मिलेगा, शी जिनपिंग जानते हैं नतीजे क्या होंगे Today World News

[ad_1]

वॉशिंगटन डीसी5 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन को चेतावनी दी है कि अगर उसने ताइवान पर हमला किया, तो उसे गंभीर नतीजे भुगतने होंगे। ट्रम्प ने दावा किया कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग स्थिति को अच्छी तरह समझते हैं।

ट्रम्प ने रविवार को CBS न्यजू को दिए इंटरव्यू में कहा,

QuoteImage

अगर ताइवान पर हमला हुआ तो वह (शी जिनपिंग) जानते हैं कि इसका जवाब क्या होगा। उन्होंने हमारी मुलाकात में इस पर बात नहीं की, क्योंकि वह नतीजे जानते हैं।

QuoteImage

ट्रम्प ने आगे कहा कि वो अपना सीक्रेट प्लान नहीं बताएंगे, लेकिन चीन को सब पता है कि क्या होगा।

ट्रम्प का दावा है कि उनके पहले कार्यकाल में चीन ने कभी ताइवान पर हमले की हिम्मत नहीं की थी, क्योंकि उसे अमेरिका की सख्त प्रतिक्रिया का डर था।

ट्रम्प का दावा है कि उनके पहले कार्यकाल में चीन ने कभी ताइवान पर हमले की हिम्मत नहीं की थी, क्योंकि उसे अमेरिका की सख्त प्रतिक्रिया का डर था।

अमेरिका और चीन के रक्षामंत्रियों ने ताइवान मुद्दे पर बात की

अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने 31 अक्टूबर को मलेशिया में चीन के रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जुन से बातचीत की। उन्होंने ताइवान और साउथ चाइना सी में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों पर चिंता जताई।

उन्होंने कहा कि अमेरिका इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शक्ति संतुलन बनाए रखेगा और अपने हितों की रक्षा करेगा। हेगसेथ ने बताया कि अमेरिका टकराव नहीं चाहता, लेकिन अपनी सैन्य मौजूदगी मजबूत रखेगा।

जवाब में चीन के रक्षा मंत्री डोंग जुन ने कहा कि अमेरिका को ताइवान के मामले में सावधानी से काम करना चाहिए और ताइवान की स्वतंत्रता के समर्थन से बचना चाहिए।

ताइवान को अपना हिस्सा मानता है चीन

चीन ताइवान को अपना ही हिस्सा मानता है, जबकि ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश मानता है। चीन और ताइवान के बीच ये झगड़ा 73 साल से चला आ रहा है।

दरअसल, चीन के साथ ताइवान के बीच पहला कनेक्शन 1683 में हुआ था। तब ताइवान क्विंग राजवंश के अधीन हुआ था।अंतरराष्ट्रीय राजनीति में ताइवान की भूमिका 1894-95 में पहले चीन- जापान युद्ध के दौरान सामने आई।

जापान ने क्विंग राजवंश को हराकर ताइवान को अपना उपनिवेश बना लिया। इस पराजय के बाद चीन कई भागों में बिखर गया। कुछ साल बाद चीन के बड़े नेता सुन्-यात-त्सेन ने चीन को एकजुट करने के उद्देश्य से 1912 में कुओ मिंगतांग पार्टी बनाई।

हालांकि उनका रिपब्लिक ऑफ चाइना का अभियान पूरी तरह सफल हो पाता उससे पहले ही 1925 में उनकी की मृत्यु हो गई।

इसके बाद कुओ मिंगतांग पार्टी के दो टुकड़े हो गए। नेशनलिस्ट पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टी। नेशनलिस्ट पार्टी जनता को ज्यादा से ज्यादा अधिकार देने के पक्ष में थी, जबकि कम्युनिस्ट पार्टी डिक्टेटरशिप में भरोसा रखती थी।

इसी बात पर चीन के भीतर गृहयुद्ध शुरू हुआ। 1927 में दोनों पार्टियों के बीच नरसंहार की नौबत आ गई। शंघाई शहर में हजारों लोगों को मार गिराया गया। यह गृह युद्ध 1927 से 1950 तक चला।

[ad_2]
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने चीन को चेतावनी दी: कहा- ताइवान पर हमला हुआ तो जवाब मिलेगा, शी जिनपिंग जानते हैं नतीजे क्या होंगे

नकारात्मकता को मिटाता यज्ञ का धुआं : संतोष Latest Haryana News

नकारात्मकता को मिटाता यज्ञ का धुआं : संतोष Latest Haryana News