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अमेजन ‘संभव’ का विरोध ‘असंभव’ के जरिये कर रहें छह लाख विक्रेता Business News & Hub

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देश के रिटेल कारोबार पर कब्जा को लेकर ई-कॉमर्स कंपनियों और छोटे कारोबारियों के बीच जंग छिड़ गई है। ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन द्वारा ‘संभव सम्मेलन’ करने के बाद देशभर के छोटे कारोबारियों औैर विक्रेताओं ने ‘असंभव सम्मेलन’ के जरिये विरोध जता रहे हैं। विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों की भेदभाव वाली नीतियों के विरोध खिलाफ यह सम्मेलन किया जा रहा है।

बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने की तैयारी में अमेजन

कोरोना संकट के चलते ई-कॉमर्स कंपनियों का कारोबार तेजी से बढ़ा है। अमेरिकी कंपनी अमेजन भारत में अपनी हिस्सेदारी बढ़ानी की हर संभव कोशिश कर रही है। इसी कड़ी में अमेजन ने भारत के लघु एवं मझोले उपक्रमों को डिजिटल बनाने में मदद करने के लिए 1,873 करोड़ रुपये का कोष बनाने का ऐलान किया है। अमेजन ने इस कोष की घोषणा अपने वर्चुअल सम्मेलन ‘संभव’ में की है। हालांकि, जानकारों का कहना है कि यह बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने की एक रणनीति ही है।

लघु एवं मझोले उपक्रम अर्थव्यवस्था का इंजन

अमेजन वेब सर्विसेज के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) एंडी जेसी ने कहा कि लघु एवं मझोले उपक्रम अर्थव्यवस्था का इंजन होते हैं। जेसी ने संभव कार्यक्रम में कहा कि इसके तहत अमेजन का इरादा और एसएमबी को अपने नए कारोबार के निर्माण के लिए प्रोत्साहित करना हैं।

भेदभावपूर्ण व्यवहारों के खिलाफ विरोध

छह लाख से अधिक छोटे भारतीय व्यापारियों, वितरकों और विक्रेताओं के प्रतिनिधि ‘असंभव सम्मेलन’ के जरिये विदेशी ई- वाणिज्य कंपनियों के देश में कथित भेदभावपर्ण व्यवहारों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इसमें आल इंडिया आनलाइन वेंडर्स एसोसियेसन, आल इंडिया मोबाइल रिटेलर्स एसोसियेसन और पब्लिक रिसपोंस अगेंस्ट हेल्पलेसनेस एण्ड एक्शन फार रिड्रसेल यानी प्रहार सभी मिलकर इस सम्मेलन का आयोजन करने जा रहे हैं।

ई-वाणिज्य नीति पर काम कर रही सरकार

सरकार ई-वाणिज्य नीति पर काम कर रही है। इसमें देश में तेजी से उभरने वाले इस क्षेत्र के लिये नियामकीय व्यवस्था को पेश किया जायेगा। देश में इंटरनेट की पैठ बढ़ने और इसके इस्तेमाल के लिए विभिन्न ई- वाणिज्य कंपनियों की ओर से आकर्षक पेशकशों के चलते पिछले कुछ सालों के दौरान ई-वाणिज्य बाजार का दायरा तेजी से बढ़ा है।

ई-कॉमर्स कंपनी गलत कारोबार में लिप्त: खंडेलवाल

कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने हिन्दुस्तान को बताया कि ई- कॉमर्स कंपनियां लगातार अनुचित व्यवहारों में लिप्त रहती हैं। इसके लिए वह सरकार से मांग करते हैं कि जल्द से जल्द कानून लाया जाए जिस तरह चीन में किया गया है। चीन ने अलीबाबा पर जुर्माना लगाया है। ठीक वैसे ही भारत में विदेशी कंपनियों पर किया जाए।

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