पिछले महीने अमृतपाल और उसके समर्थक तलवारें और पिस्तौल लहराते हुए अमृतसर शहर के बाहरी इलाके में अजनाला थाने में घुस गए थे। इस दौरान, अमृतपाल के एक करीबी को छुड़ाने के लिए उनकी पुलिस के साथ झड़प हो गई थी। अमृतपाल सिंह खालिस्तान समर्थक संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ का प्रमुख है। उसके खिलाफ 3 केस दर्ज हैं जिनमें से दो मामले अमृतसर जिले के अजनाला थाने में हैं। अपने एक करीबी की गिरफ्तारी से नाराज होकर अमृतपाल ने 23 फरवरी को समर्थकों के साथ मिलकर अजनाला थाने पर हमला कर दिया था। अमृतपाल सिंह के खिलाफ कार्रवाई न करने पर पंजाब पुलिस की आलोचना हो रही थी।
कौन है अमृतपाल सिंह?
अमृतपाल सिंह पंजाब के अमृतसर के जल्लूपुर खेड़ा गांव का रहने वाला है। उसने 12 वीं तक पढ़ाई की। वो खुद को खालिस्तानी आतंकी जनरैल सिंह भिंडरावाले का अनुयायी होने का दावा करता है। वह दुबई में रहकर ट्रांसपोर्ट का बिजनस कर रहा था। पिछले साल सितंबर महीने में वह दुबई में कामकाज समेटकर वापस पंजाब आ गया। खालिस्तान, भिंडरावाले और इससे जुड़ा तमाम ज्ञान उसने इंटरनेट की बदौलत हासिल किया।
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अमृतपाल कैसे बना वारिस पंजाब दे का प्रमुख
सितंबर 2022 में अमृतपाल सिंह ‘वारिस पंजाब दे’ के प्रमुख बने। उससे पहले दीप सिद्धू इस संगठन का प्रमुख था। दीप सिद्धू 26 जनवरी 2021 को लालकिले पर खालसा पंथ का झंडा फहराने को लेकर सुर्खियों में आया था। 15 फरवरी 2022 को एक सड़क हादसे में उनकी मौत हो गई। दीप सिद्धू की मौत के बाद संगठन के प्रमुख का पद खाली था। यह कमान अमृतपाल सिंह को खालिस्तानी विद्रोही जनरैल सिंह भिंडरावाले के गांव रोडे में सौंपी गई थी। दीप सिद्धू ने सितंबर 2021 में ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन की स्थापना की थी। इसका मकसद बताया गया- युवाओं को सिख पंथ के रास्ते पर लाना और पंजाब को ‘जगाना’।
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