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अस्पतालों में मरीजों को अधिक देर तक इंतजार करना पड़ा।
भिवानी। एनएचएम कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से अस्पतालों में मरीजों को अधिक देर तक इंतजार करना पड़ा। जिले में स्वास्थ्य सेवा लड़खड़ा गई है। इससे जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र की व्यवस्था भी बिगड़ चुकी है। पिछले एक पखवाड़े में जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र बनाने के करीब तीन हजार आवेदन पत्र अटक गए हैं। इस कारण
संबंधित अस्पतालों में जन्मे बच्चों के डॉटा को पोर्टल पर अपलोड करने की जिम्मेदारी एनएचएम कर्मचारियों को सौंपी गई है। मृत्यु प्रमाणपत्र से जुड़ी जानकारी भी एनएचएम कर्मचारी ही पोर्टल पर ऑनलाइन दर्ज करते हैं लेकिन इनदिनों एनएचएम कर्मचारियों की हड़ताल चल रही है, जिसकी वजह से ये जरूरी काम भी रुक गया है।
जिले में शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र बनाने और इनमें संशोधन का काम नेशनल पोर्टल पर ही दर्ज किया जा रहा है। इस पोर्टल पर डाटा अपलोड करने के लिए एनएचएम कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है लेकिन इनदिनों हड़ताल की वजह से ये काम अटका है। जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र से संबंधित डाटा अपलोड नहीं हो पा रहा है, जिसकी वजह से संबंधित लोगों के कई काम अटके हैं।
वहीं, स्वास्थ्य विभाग ने पोर्टल पर डाटा अपलोड करने के लिए एप भी बनाया है। ये जानकारी कर्मचारी इसी एप पर अपलोड करते हैं, जिसकी सूचना संबंधित लोगों तक भी पहुंचती है। इसके बाद ये लोग अपनी जानकारी का स्वयं सत्यापन कर इसे फिर से अपलोड कर देते हैं, जिसके बाद ही संबंधित प्रमाणपत्र जारी होता है लेकिन सोमवार से अब लिपिक भी हड़ताल पर चले गए हैं। इस कारण बन चुके जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्रों की वितरण प्रक्रिया भी प्रभावित हुई है।
जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए एनएचएम कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। संबंधित निजी और सरकारी अस्पताल में होने वाली प्रत्येक प्रसव के बाद बच्चे का डाटा ऑनलाइन अपलोड किया जाता है। इसके बाद ही संबंधित को प्रमाणपत्र जारी होता है। हड़ताल की वजह से ये काम प्रभावित हो रहा है। -डॉ. रघुवीर शांडिल्य, सिविल सर्जन, भिवानी।

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अमर उजाला अभियान : एनएचएम कर्मियों की हड़ताल से अटके तीन हजार प्रमाणपत्र