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रेवाड़ी। भारतीय सेना की अनुशंसा पर केंद्र सरकार ने अग्निपथ योजना को स्वीकृति प्रदान की है। अग्निपथ सेनाओं के आधुनिकीकरण के महत्वपूर्ण जरूरतों में से एक है। इसके माध्यम से देश की सेनाओं के तीनों अंगों को बेहतरीन सैनिकों की उपलब्धि होगी और विश्व स्तर पर अनेक देशों में सेनाओं में हो रहे बदलाव से मिल रही चुनौती को पूर्ति करने का संकल्प पूरा होगा। यह कहना है भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता सत्यव्रत शास्त्री का। वह रेवाड़ी आगमन पर अमर उजाला से खास बात कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि अनेक राजनीतिक दल और कुछ संगठन इस अग्निपथ की योजना को अव्यवहारिक बताकर नौजवानों को गुमराह करने का काम कर रहे हैं। योजना के लाभ न बताकर आशंकाओं के भंवर में लोगों को धकेलने का काम कर रहे हैं। सबसे बड़ी बात तो अग्निवीरों के सेना से वापसी के बाद समाज के सैन्यीकरण का डर दिखा रहे हैं और कह रहे हैं कि यह लोग समाज में गलत हाथों में चले जाएंगे।
सेना के प्रति इस प्रकार का भाव रखने वाले लोग यह नहीं जानते कि आज भी देश में 20 से 25 लाख सेवानिवृत्त सैनिक देश में विभिन्न स्थानों पर या तो काम कर रहे हैं या सामाजिक कामों में जुड़कर समाज को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। देश में सर्वोच्च प्रशिक्षण देने के लिए सेना ही होती है उससे अधिक राष्ट्रवाद और समर्पण भाव किसी संस्था व संगठन के प्रशिक्षण से प्राप्त नहीं होता। वही ये लोग सेना के प्रशिक्षण से युवकों के दिग्भ्रमित होने का विधवा विलाप कर रहे हैं। योजना को समझने की वजाय उलझाने में विश्वास रखने वाले लोग ज्यादा है।
शास्त्री ने कहा कि यह प्रशिक्षण 4 साल का है। प्रशिक्षण के साथ काम करने के बाद उसके सामने विकल्प क्या है? इस पर विचार करना चाहिए। पहला यदि रुचि और पर्याप्त क्षमता है तो वहीं आपको सेना में स्थायी रूप से रख लिया जाएगा। यदि रुचि और कुछ क्षमता कम है तो वापस आने के समय आपके हाथ में 11 लाख रुपये की राशि होगी और एक प्रशिक्षित युवा की पहचान होगी। इसमें विभिन्न कोर्सों के सर्टिफिकेट तथा आपकी बढ़ी हुई योग्यता के अनुसार शैक्षिक प्रमाण पत्र भी होंगे। इसलिए समाज में विभिन्न क्षेत्रों में यह अग्निवीर जिस समय काम करेंगे तो आज के पूर्व सैनिकों की भांति अपने कर्तव्य के प्रति गंभीर और उत्तरदायित्व व्यवहार करेंगे।
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लाखों खर्च करके भी नहीं मिल सकता सेना का प्रशिक्षण
उन्होेंने कहा कि सेना के माध्यम से 4 साल के प्रशिक्षण का मतलब लाखों रुपये खर्च करके भी नहीं मिल सकता। वहीं वह प्रशिक्षण आपको भोजन, आवास, शिक्षा के साथ-साथ आर्थिक गारंटी भी दे रहा है। अग्नीपथ योजना को लागू करने के बाद देश के सामाजिक ताने-बाने में भी सकारात्मक सुधार होने के पूरे अवसर हैं। सेना जिस प्रकार से अपने कर्तव्य के प्रति सजग और समर्पित रहती है, उसी प्रकार समाज में भी एक बहुत बड़ा वर्ग अपने कर्तव्य और समर्पण से समाज को नई दिशा दे सकता है।
रेवाड़ी। भारतीय सेना की अनुशंसा पर केंद्र सरकार ने अग्निपथ योजना को स्वीकृति प्रदान की है। अग्निपथ सेनाओं के आधुनिकीकरण के महत्वपूर्ण जरूरतों में से एक है। इसके माध्यम से देश की सेनाओं के तीनों अंगों को बेहतरीन सैनिकों की उपलब्धि होगी और विश्व स्तर पर अनेक देशों में सेनाओं में हो रहे बदलाव से मिल रही चुनौती को पूर्ति करने का संकल्प पूरा होगा। यह कहना है भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता सत्यव्रत शास्त्री का। वह रेवाड़ी आगमन पर अमर उजाला से खास बात कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि अनेक राजनीतिक दल और कुछ संगठन इस अग्निपथ की योजना को अव्यवहारिक बताकर नौजवानों को गुमराह करने का काम कर रहे हैं। योजना के लाभ न बताकर आशंकाओं के भंवर में लोगों को धकेलने का काम कर रहे हैं। सबसे बड़ी बात तो अग्निवीरों के सेना से वापसी के बाद समाज के सैन्यीकरण का डर दिखा रहे हैं और कह रहे हैं कि यह लोग समाज में गलत हाथों में चले जाएंगे।
सेना के प्रति इस प्रकार का भाव रखने वाले लोग यह नहीं जानते कि आज भी देश में 20 से 25 लाख सेवानिवृत्त सैनिक देश में विभिन्न स्थानों पर या तो काम कर रहे हैं या सामाजिक कामों में जुड़कर समाज को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। देश में सर्वोच्च प्रशिक्षण देने के लिए सेना ही होती है उससे अधिक राष्ट्रवाद और समर्पण भाव किसी संस्था व संगठन के प्रशिक्षण से प्राप्त नहीं होता। वही ये लोग सेना के प्रशिक्षण से युवकों के दिग्भ्रमित होने का विधवा विलाप कर रहे हैं। योजना को समझने की वजाय उलझाने में विश्वास रखने वाले लोग ज्यादा है।
शास्त्री ने कहा कि यह प्रशिक्षण 4 साल का है। प्रशिक्षण के साथ काम करने के बाद उसके सामने विकल्प क्या है? इस पर विचार करना चाहिए। पहला यदि रुचि और पर्याप्त क्षमता है तो वहीं आपको सेना में स्थायी रूप से रख लिया जाएगा। यदि रुचि और कुछ क्षमता कम है तो वापस आने के समय आपके हाथ में 11 लाख रुपये की राशि होगी और एक प्रशिक्षित युवा की पहचान होगी। इसमें विभिन्न कोर्सों के सर्टिफिकेट तथा आपकी बढ़ी हुई योग्यता के अनुसार शैक्षिक प्रमाण पत्र भी होंगे। इसलिए समाज में विभिन्न क्षेत्रों में यह अग्निवीर जिस समय काम करेंगे तो आज के पूर्व सैनिकों की भांति अपने कर्तव्य के प्रति गंभीर और उत्तरदायित्व व्यवहार करेंगे।
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लाखों खर्च करके भी नहीं मिल सकता सेना का प्रशिक्षण
उन्होेंने कहा कि सेना के माध्यम से 4 साल के प्रशिक्षण का मतलब लाखों रुपये खर्च करके भी नहीं मिल सकता। वहीं वह प्रशिक्षण आपको भोजन, आवास, शिक्षा के साथ-साथ आर्थिक गारंटी भी दे रहा है। अग्नीपथ योजना को लागू करने के बाद देश के सामाजिक ताने-बाने में भी सकारात्मक सुधार होने के पूरे अवसर हैं। सेना जिस प्रकार से अपने कर्तव्य के प्रति सजग और समर्पित रहती है, उसी प्रकार समाज में भी एक बहुत बड़ा वर्ग अपने कर्तव्य और समर्पण से समाज को नई दिशा दे सकता है।
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